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Transcendental Meditation and Accomplishment Program

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भावातीत ध्यान (टी.एम.) एवं सिद्धि कार्यक्रम भावातीत ध्यान की एक उन्नत तकनीक है। यह तकनीक व्यक्ति को भावातीत चेतना के स्तर से विचार करने एवं कार्य करने के लिए प्रशिक्षित करती है, मन एवं शरीर के मध्य समन्वय को वृहत रूप से बढ़ाती है एवं व्यक्ति की इच्छाओं को परिपूर्ण करने के लिए जीवन के समस्त क्षेत्रों में सहयोग हेतु प्राकृतिक विधान को जागृत करने की क्षमता को विकसित करती है। यह उन्नत कार्यक्रम उन लोगों के लिए है, जिन्होंने भावातीत ध्यान का अभ्यास कुछ माह तक नियमित रूप से किया हो। यह कार्यक्रम पतंजलि योगसूत्रों पर आधारित है ।

भावातीत ध्यान सक्रिय मन को भावातीत चेतना का अनुभव प्राप्त करने के लिए स्थिर करता है एवं भावातीत ध्यान सिद्धि कार्यक्रम मन एवं शरीर को शांति के उस स्तर से-समस्त संभावनाओं के क्षेत्र से-प्रकृति के समस्त नियमों के स्रोत से कार्यशील होने के लिए प्रेरित करता है। मन एवं शरीर के मध्य उचित समन्वय, कार्य में पूर्ण फल प्रदायक होता है ।

हजारों वर्षों में पहली बार महर्षि जी ने चेतना की उच्चतर अवस्थाओं को विकसित करने एवं भावातीत ध्यान सिद्ध कार्यक्रम के अभ्यास द्वारा नित्य जीवन की क्रिया में प्रकृति के समस्त नियमों के एकीकृत क्षेत्र की सुव्यवस्था एवं सृजनात्मकता को लाने के लिए वैदिक पाठ्य पुस्तकों से योगिक सिद्धांतों को व्यावहारिक प्रयोग में लाने की तकनीक प्रदान की है ।

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भावातीत ध्यान सिद्धि कार्यक्रम चेतना के उच्चतर स्तर, ग्राह्य क्षमता, सृजनात्मकता एवं स्नायुतंत्राीय प्रवीणता को विकसित करता है। वैज्ञानिक शोध अध्ययन संकेत करते हैं कि भावातीत ध्यान सिद्धि कार्यक्रम के दौरान मस्तिष्क में अधिकतम तरंगे व्यवस्थित होती हैं और मस्तिष्क अपनी अधिकतम संभव कार्यशक्ति प्रदर्शित करता है, ऐसा ई.ई.जी. द्वारा मस्तिष्क तरंगों के माप से ज्ञात होता है। सिद्धि कार्यक्रम के दौरान शुद्ध चेतना की जागृति अधिकतम होकर, मस्तिष्क की अधिकतम कार्यशक्ति प्राप्त होकर, व्यक्ति की पूर्ण रचनात्मक बुद्धिमत्ता को प्रकट करने के लिए आधार प्रदान करती है ।

भावातीत ध्यान सिद्धि कार्यक्रम चेतना के शांत स्तर से मन, बुद्धि, इन्द्रियों एवं संपूर्ण भौतिक संरचना, शरीर एवं इसकी कार्यप्रणाली के स्तरों तक संपूर्ण तंत्रिका प्रणाली में संतुलन निर्मित करता है। न केवल विचार समन्वित, सृजनात्मक एवं शक्तिशाली, इच्छाओं को पूर्ण करने की क्षमता प्रदान वाले हो जाते हैं, बल्कि इसके साथ-साथ संपूर्ण वातावरण में सुव्यवस्था निर्मित होती है, जो समाज की सामूहिक चेतना में, राष्ट्र में एवं विश्व में सामन्जस्य निर्मित करने में योगदान करती है ।

योगिक उड़ान

योगिक उड़ान की प्रक्रिया मन एवं शरीर के पूर्ण समन्वय को प्रदर्शित करती है। यह मस्तिष्क की अधिकतम सुसंबद्धता से संबंधित है, जो मन व मस्तिष्क की अधिकतम सुव्यवस्था एवं कार्यप्रणाली के सामन्जस्य का अनोखा उदाहरण है । मन और मस्तिष्क की सुसंबद्धता भावातीत चेतना, प्राकृतिक विधानों के एकीकृत क्षेत्र से कार्य का प्रमाण है, जहां अनन्त संगठनात्मक शक्ति जीवंत है ।

योगिक उड़ान के प्रथम चरण में भी, जब शरीर धीरे-धीरे ऊपर उठता है, यह अभ्यास व्यक्ति के लिए अत्यधिक आनंद का अनुभव प्रदान करता है एवं पर्यावरण के लिए सुसंबद्धता, सकारात्मकता, एवं समन्वय निर्मित करता है ।

वैज्ञानिक अध्ययनों द्वारा यह स्पष्टतया प्रमाणित भी किया गया है कि जब किसी क्षेत्र की जनसंख्या के एक प्रतिशत का वर्गमूल सामूहिक रूप से भावातीत ध्यान (टी.एम.) सिद्धि तकनीक एवं योगिक उड़ान का अभ्यास करता है, तब यह शांति एवं समन्वय निर्मित करता है एवं संपूर्ण क्षेत्र से नकारात्मकता को समाप्त करता है, आंतक में कमी लाता है, संघर्ष एवं हिंसा में कमी करता है ।

वर्ष 1976 में टी.एम. सिद्धि कार्यक्रम और योगिक उड़ान के प्रयोग के बाद सामूहिक चेतना में सुसंबद्धता के एक अधिक शक्तिशाली प्रभाव की अपेक्षा की गयी थी । इस भविष्यवाणी का प्रथम मुख्य परीक्षण वर्ष 1978 में 108 देशों के ‘‘महर्षि विश्वव्यापी आदर्श समाज अभियान’’ के दौरान घटित हुआ, सर्वत्रा अपराध दरों में कमी आई । इस वैश्विक शोध ने एक नये सिद्धांत को प्रदर्शित कियाः जनसंख्या के एक प्रतिशत के वर्गमूल द्वारा भावातीत ध्यान एवं टी.एम. सिद्धि कार्यक्रम का प्रातः एवं सायं एक साथ एक स्थान में अभ्यास करना संपूर्ण जनसंख्या से नकारात्मक प्रवृत्तियों को समाप्त करने एवं सकारात्मक प्रवृत्तियों को बढ़ाने के लिए पर्याप्त है ।

समस्त उपरोक्त लाभों के लिये टी.एम. सिद्धि कार्यक्रम को केवल कुछ ही सप्ताहों में सरलता से सीखा जा सकता है, इसके लिए सप्ताह में 2 से 3 दिन अत्यन्त सरल, स्वाभाविक एवं प्रयासरहित तरीके से देने होते हैं ।

वैश्विक महर्षि प्रभाव

शोध ने दर्शाया है कि योगिक उड़ान का अभ्यास करने वाले व्यक्तियों का समूह-अपने मस्तिष्क में घनी तरंगों का आनंद लेते हुए सामूहिक चेतना में सतोगुण निर्मित करता है एवं समाज के जीवन में एकता एवं अखंडता का प्रभाव निर्मित करता है। इसके परिणामस्वरूप संपूर्ण समाज से नकारात्मक प्रवृत्तियों जैसे कि अपराध, दुर्घटना एवं रोगों में कमी आती है एवं सकारात्मक सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक प्रवृत्तियों में वृद्धि होती है।

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इस प्रयोग पर वैज्ञानिक अध्ययनों ने प्रदर्शित किया है कि कम से कम 7000 योगिक फ्रलायर्स का एक समूह (यह उस समय अनुमानतः संपूर्ण संसार की जनसंख्या के एक प्रतिशत का वर्गमूल था जो वर्तमान जनसंख्या के अनुसार लगभग 9000 हो गया हैद्ध वैश्विक स्तर पर इस सतोगुणी चेतना का निर्माण कर सकता है, विश्व भर से हिंसक एवं नकारात्मक प्रवृत्तियों को कम कर सकता है।

वैश्विक महर्षि प्रभाव को 7000 योगिक फ्रलायर्स के समूह अभ्यास द्वारा तीन बड़ी ‘विश्व शांति सभाओं’ के दौरान प्रदर्शित किया गया था जो अमेरिका, हाॅलेंड एवं भारत में दो से तीन सप्ताह की अवधि के लिये आयोजित की गयी थीं।

वैश्विक महर्षि प्रभाव का रहस्य वह घटना है जिसे भौतिकी में ‘क्षेत्र प्रभाव’ (Field Effect) के रूप में जाना जाता है, सतोगुण व सकारात्मकता का यह प्रभाव चेतना की आत्म-परक, न्यूनतम क्रियाशील किन्तु अनन्त परिणामदायी जागृति के क्षेत्र-भावातीत चेतना-जीवन व सृष्टि के आधार से उत्पन्न होता है।

प्रशासन के प्रत्येक स्तर की सरकार के पास योगिक फ्रलायर्स का एक समूह ‘प्रत्येक सरकार के लिए एक समूह’ - उनकी राजधानी में सरकार की सफलता के लिए होना ही चाहिए।

‘प्रत्येक सरकार के लिए एक समूह’ की स्थापना के साथ, राष्ट्रीय चेतना प्रकृति की सरकार, प्राकृतिक विधानों की विकासात्मक शक्ति के साथ ताल-मेल में होगी, जो सृष्टि में प्रत्येक वस्तु को पूर्ण सुव्यवस्था के साथ संचालित करती है। प्राकृतिक विधान के सहयोग के साथ राष्ट्रीय जीवन में सकारात्मक प्रवृत्तियां एवं समन्वय उदित होगा-राष्ट्र की समस्याएं ठीक वैसे ही समाप्त हो जायेंगी, जैसे कि प्रकाश के आने पर अंधकार स्वयंमेव ही समाप्त हो जाता है।